Friday, September 29, 2023

Tuesday, September 5, 2023

शिक्षक दिवस पर विशेष

हाथों में अपने गुलाब, 
चेहरे पर मुस्कान रखती हूं
हा, मैं टीचर हूँ हर 
हुनर लाजवाब रखती हूं।।
मिट्टी के ढेलों से रोज खेलती हूँ
धूल सने हाथों से रोज बनाती हूँ मैं
तरह तरह के घड़े, गमले और गिलास!
जो माटी कभी पैरों तले थी 
उसे गढ़ कर निखार देती हूं
मैं रोज नए नए प्रतिमान गढ़ती हूं
हा, मैं शिक्षक हूं,करामात करती हूं।।
जो भरम में थे ,वे सब 
राजे महाराजे बह गए,
कई पद, प्रतिष्ठा के भूखे 
आए और यूं ही चले गए,
 मैं तो नन्ही दूब हूं ..खूब हूं,
तुफानो मैं भी रोज सँवरती हूँ!
 संवारती हूँ नन्ही क्यारियाँ,
और खूब फलती फूलती हूं
हा, मैं शिक्षक हूँ अपनी एक 
गरिमा और पहचान रखती हूं,
महकती हूँ,महकाती हूं
मैं शामियानों को गुलज़ार रखती हूं
हा, मैं शिक्षक हूं,इतिहास में 
अपना स्थान रखती हूं।।--डॉ नीता चौबीसा


आज आप सभी शिक्षक साथियों को मेरी यह रचना समर्पित है।🙏🌺🚩